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Thursday, July 29, 2010

दुःख का संविधान

दुःख का

एक अपना ही संविधान है

जिसमे न जाने

कितनी जटिल धाराएँ हैं

और यहाँ

संशोधन की गुंजाईश

कतई नहीं है

बस संशोधनों के नाम पर

दुःख..........

एक नए कलेवर में पेश होता है

हालाँकि,

सभी इस कोशिश में हैं कि

संशोधनों के

सुखद परिणाम निकल सकें

लेकिन , दूसरी मुश्किल ये भी है कि

मेरे हिस्से के सुखों के

पास जीवन के संसद

में प्रवेश की पात्रता ही नहीं है।

Wednesday, July 28, 2010

राह पे रहते हैं

रास्ते मुझे बेहद पसंद हैं
हर आहट के नीचे
एक नयी कहानी के आभास का
आसरा मिलता है ;

कभी यूँ ही बिना किसी पूर्वसूचना के
अनायास ही कोई साथ हो लेता है
और कुछ कदम चलने के बाद
किसी मोड़ पे घूम कर
अपनी राह चला जाता है
एक खूबसूरत एहसास छोड़ ;
मंजिल पर बहुत मुश्किल है
किसी के अलगाव को
राह में मिले
हमसफ़र के अलगाव की तरह भूल जाना ;

मैं किसी ऐसी मंजिल पर
जाना ही नहीं चाहता
बस कुछ ढूंढना चाहता हूँ
राहों पे लगातार भटकते हुए ।