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Wednesday, July 28, 2010

राह पे रहते हैं

रास्ते मुझे बेहद पसंद हैं
हर आहट के नीचे
एक नयी कहानी के आभास का
आसरा मिलता है ;

कभी यूँ ही बिना किसी पूर्वसूचना के
अनायास ही कोई साथ हो लेता है
और कुछ कदम चलने के बाद
किसी मोड़ पे घूम कर
अपनी राह चला जाता है
एक खूबसूरत एहसास छोड़ ;
मंजिल पर बहुत मुश्किल है
किसी के अलगाव को
राह में मिले
हमसफ़र के अलगाव की तरह भूल जाना ;

मैं किसी ऐसी मंजिल पर
जाना ही नहीं चाहता
बस कुछ ढूंढना चाहता हूँ
राहों पे लगातार भटकते हुए ।

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