१
दिल एक समंदर है
जहाँ हर रोज़
मन से निकल
कई नदियाँ समा जाती हैं.
न तो समंदर कभी भरता है
न ही नदियों का
उदगम कभी थमता है.
बस कभी-कभी कुछ पल
ज़िंदगी के मौसम को
जेठ लग जाता है
और रेत के कुछ
बेज़ार टीले दिखाई पड़ जाते हैं.
2
बहुत लंबे समय तक
कोई एक ख़ास पल
अटक सा जाता है,
जैसे ग्रामोफ़ोन की सुई.
और अचानक
उछल कर चला जाता है
गीत के मध्य कहीं.
कमबख्त !
बीच की दो चार पंक्तियाँ
जो गाया न जा सका,
मेरे सुनने के लिए छोड़ जाता है.
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