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Friday, October 15, 2010

और क्या ?


१ 
दिल एक समंदर है 
जहाँ हर रोज़ 
मन से निकल 
कई नदियाँ समा जाती हैं. 
न तो समंदर कभी भरता है
न ही नदियों का 
उदगम कभी थमता है. 
बस कभी-कभी कुछ पल 
ज़िंदगी के मौसम को 
जेठ लग जाता है 
और रेत के कुछ 
बेज़ार टीले दिखाई पड़ जाते हैं.

2
बहुत लंबे समय तक 
कोई एक ख़ास पल 
अटक सा जाता है,
जैसे ग्रामोफ़ोन की सुई. 
और अचानक 
उछल कर चला जाता है 
गीत के मध्य कहीं. 
कमबख्त ! 
बीच की दो चार पंक्तियाँ 
जो गाया  न जा सका, 
मेरे सुनने के लिए छोड़ जाता है.

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