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Friday, November 4, 2011

HUG FOR SALE


Who, belongs to me
I swear that shadow
I’ve kept my hug
for a humble sale.

I’ve kept my hug
for a humble sale.
Agony! Pain! Mistrust! Disdain!
Fear in eyes, tears insane
Lonely ! cloudy ! with echoes, refrain.
They come to me
wet and heavy,
tall but bowed in trembling pain!
I’ve kept my hug
for a humble sale.

Choir of halo
away from moon,
crisp and cold
like a prune
drug in veins
though flowing fast
made them going a dancing doom,
They come to me
dark and down,
moaning as if fuming gel!
I’ve kept my hug
for a humble sale

Who, belongs to me
I swear that shadow
I’ve kept my hug
for a humble sale

Friday, October 28, 2011

Being In Love


If I could born, as a guitar
It would be better than being in love.
If I could play, like a string
It would be better than being in love.

Silence of walls whispered in my eyes
try to sleep, try be deep.
Choirs of emotion nudged my shadow
try to keep, the pain beneath,
Though whole of the half
I dreamt ago
painted half of the whole
I let forgo.
My cries took me above
somewhere up in the space
And I melted down softly
falling from grace.
If I could born as a flute
It would be better than being in love
If I could whistle, like a wood
It would be better than being in love.

In my mind I hate my presence
set to sow, set to mow.
In my heart the fog is dense
set to glow, set to flow,
We need a master
to live a lie,
why not truth be given
few more tries.
Why love is a letter
to lost address,
And heart goes Belgium
for diamond race.
If I could born, as a lake
It would be better than being in love
If I could sing, like a pond
It would be better than being in love.

Saturday, October 8, 2011

Dream-World


Purple dream in a violet sleep
Hugs and pillow amidst breathe in deep
Soil and sun Was yet to glow
Shining stars in bluish deep.

Lonely! Lovely! Rainbow, Stark!
Drowning heart in the abyss of dark
Thought of yours like deepening blue
The lost world ode was singing true.
Purple dream in a violet sleep
Hugs and pillow amidst breathe in deep
Wind and fire was yet to blow
Sleeping moon asked west retreat.

Sign ‘n’ cross, few words desperate
Twinkling eyes were urged to set
Hue and hairs on the sun dried wall
Heart was loud but smothered call
Purple dream in a violet sleep
Hugs and pillow amidst breathe in deep
Cry and pain was yet to mow
The burning clock had a frozen beep.

Love is growing, time is slow
The world is asking eye wet show
Heavenly melody lifting me high
Darkness asked for lights replete.
Purple dream in a violet sleep
Hugs and pillow amidst breathe in deep
Dew and dawn at the merging slope
Promise and dreams hard to keep

Purple dream in a violet sleep
Hugs and pillow amidst breathe in deep
Soil and sun Was yet to glow
Shining stars in bluish deep.

Tuesday, July 26, 2011

"उन ख़्वाबों को कहाँ सजाऊँ"

जाने....        कैसे......   
ख़्वाबों की जगह बनाऊँ, 
टूटे...... कुछ छूटे........ 
उन ख़्वाबों को कहाँ सजाऊँ, 
उन गलिओं का न कोई पता 
उन रिश्तों में न अब है सदा 
उन ज़ख्मों की अब न दवा 
जो छू के आये हम.
जाने....        कैसे......   
ख़्वाबों की जगह बनाऊँ, 
टूटे...... कुछ छूटे........ 
उन ख़्वाबों को कहाँ सजाऊँ.  

मिलते-मिलते जो मिल जाते हैं 
वो ख़्वाब कहे जाते हैं, 
मिल के भी जो न मिल पाते हैं 
वो भी ख़्वाब कहे जाते हैं. 
काश के मिलसे उनसे कह पाते हम 
ख़्वाब की कहानियाँ उनकी कुछ निशानियाँ.
जाने....        कैसे......   
ख़्वाबों की जगह बनाऊँ, 
टूटे...... कुछ छूटे........ 
उन ख़्वाबों को कहाँ सजाऊँ, 
उन गलिओं का न कोई पता 
उन रिश्तों में न अब है सदा 
उन ज़ख्मों की अब न दवा 
जो छू के आये हम.

जाने....        कैसे......   
ख़्वाबों की जगह बनाऊँ, 
टूटे...... कुछ छूटे........ 
उन ख़्वाबों को कहाँ सजाऊँ.  




Sunday, February 13, 2011

तुम कहती हो तो

तुम  कहती  हो तो



चलो .. तुम  कहती  हो
तो  गिन   लेता   हूँ 
लेकिन  मेरी  मानो  तो...
कल  ये  जितने  थे 
और  कल  जितने  रहेंगे 
आज भी  उतने  ही  हैं ….
फिर  भी  तुम  कहती  हो 
तो  गिन  लेता  हूँ … 

अच्छा  एक  बात  बताना 
कि उस  रोज़ 
जब  तुम  मिली  थी 
तो  बार-बार  मेरे  पीछे 
उसे  देख  रही  थी 
जो  सहमा  सा 
मेरी  पीठ  के  पीछे 
ज़मीन  पर  पड़ा  था ..
वो  तो  मेरे  पीछे 
हमेशा  ही  होता  है  
जब  सुबह  आगे  होती  है 
और  कभी  आगे-आगे 
जब  पीछे  शाम हो रही होती  है .
ये  उसके  और  मेरे  बीच 
छाँव -धूप का 
कभी  नहीं  ख़त्म  होने  वाला  खेल  है ..
अब  शाम  ढलने  के  बाद 
फ़िर  एक  खेल ..
लेकिन  कोई  बात  नहीं 
तुम  कहती  हो  तो 
गिन  लेता  हूँ ..
लेकिन  मेरी  मानो 
तो  कल  ये  जितने  थे 
और  कल  जितने  रहेंगे 
आज  भी  उतने  ही  हैं ….
अच्छा  चलो  मान  लो 
कि  मैंने  गिन  लिया 
तो  बताओ  उस  गिनती  का 
तुम  क्या  करोगी ..
फ़िर  दुनिया  आ  जायेगी ..
समाज  जमा हो  जाएगा ..
नहीं  एक  कम  रह  गया.. 
नहीं  एक  ज्यादा  लग  रहा  है  शायद .. 
तुम  फ़िर कहोगी-  अरे  कैसे  !
तुमने  उनकी  टिमटिमाहट  पे 
निशान  नहीं  लगाया  होगा  शायद ..
निशान  लगा  के  रखते 
तो  गिनती  में  ग़लती  ना  होती  ..
अब  क्या  बताऊँ 
कि  हर  रोज़  जब 
तुम्हारे  जाने  के  बाद 
मैं  दफ़्न हो  जाता  हूँ 
तो  मेरा  दिल 
सीने  से  निकल  कर 
उफ़क में  चला  जाता  है ..
तुम्हें  जाते  हुए  देखने  के  लिए 
और  जब  तुम  आ  जाती  हो  तो ….
एक  कम  या  एक  ज्यादा ..
ये  सवाल  नहीं 
तुम्हारे  पीछे  खड़ी
दुनियावी  सियासत  की  क़ायनात  है 
जो  मोहब्बत  के  ज़ज्बात  को 
गिनने  को  ख़ुदाई  समझती  है ..
फ़िर भी, 
तुम  कहती  हो  तो 
गिन  लेता  हूँ ..
लेकिन  मेरी  मानो 
तो  कल  ये  जितने  थे 
और  कल  जितने  रहेंगे 
आज  भी  उतने  ही  हैं ….